बोलबा:- बोलबा प्रखण्ड में बलराम भंजदेवक पुण्य स्मृति स्थल पर पत्थल गड़ी एवं पूजा अर्चना का किया गया आयोजन । इस मौके पर बताया गया कि सिमडेगा जिले पूर्व में बीरू राज के नाम से जाना जाता था । जिसे बीरू केशलपुर के परगना के रूप में जाना जाता था। बीरू के गंग वंशी राजाओं के पूर्वज ओडिसा के पुरी के महाराजा के वंशज हत्थमबर देव संबलपुर में आकर रुक थे।संबलपुर में मयूरभंज महाराजा के एक पुत्र उपेन्द्र भंज आकर उनसे मिले। हथंबर देव का पुत्र हरिराम देव हुए।हरिराम देव के पुत्र कालभंजन देव एवं चक्रधर देव छोटनगपुर महाराजा से मिलकर बीरू राज को प्राप्त किया। बीरू राज की प्राप्ति में उपेन्द्र भंज के पुत्र बलराम भंज़ का योगदान महत्वपूर्ण था। इस योगदान के लिए बीरू के राजा ने बोलबा समेत 12 गांवो को बलराम भंज को समर्पित कर दिया।बताया गया कि बलराम भंज सन 1526 ई. में बलवसपुर नामक गांव बसाया। बलराम भंज जहां वास किए, वह बस्ती बलवसपुर से बाद में बोलबा के नाम से प्रसिद्ध हुआ। बलराम के वंशजों को कालांतर में बीरू राज के सेनापति का काम मिला,अभी भी सेनापति उपाधि के बहुत से परिवार इस क्षेत्र में निवास करते हैं। बोलबा को बसाने वाले परम पूज्य बलराम भंज़देव की स्मृति में जहां उनका गढ़ था, कुछ वर्षों पहले तक वहां गढ़ के कुछ लोग रहते थे। मोतीराम सेनापति ग्राम प्रधान अंतिम व्यक्ति थे जो गढ़ छोड़कर अभी बोलबा बाजार के पास रहते हैं। आज बलराम भंज़देव जी की पुण्य स्मृति स्थल में उनके नाम पर पथलगडी किया गया है। मौके पर बलराम भंज़देव के वंशज भुनेश्वर सेनापति, नारायण सेनापति, श्रवण सेनापति, खगेश्वर सेनापति, पहलाद सेनापति, गुलाब सेनापति, भोलेनाथ सेनापति, बंशीधर सेनापति, गोपाल सेनापति, लोकनाथ सेनापति, आदि उपस्थित थे।गौरतलब हो बोलबा बीरू राज अवस्थित था। जिसे बीरू केशलपुर के परगना के रूप में जाना जाता था। बीरू के गंग वंशी राजाओं के पूर्वज ओडिसा के पुरी के महाराजा के वंशज हत्थमबर देव संबलपुर में आकर रुक थे।संबलपुर में मयूरभंज महाराजा के एक पुत्र उपेन्द्र भंज आकर उनसे मिले। हथंबर देव का पुत्र हरिराम देव हुए।हरिराम देव के पुत्र कालभंजन देव एवं चक्रधर देव छोटनगपुर महाराजा से मिलकर बीरू राज को प्राप्त किया। बीरू राज की प्राप्ति में उपेन्द्र भंज के पुत्र बलराम भंज़ का योगदान महत्वपूर्ण था। इस योगदान के लिए बीरू के राजा ने बोलबा समेत 12 गांवो को बलराम भंज को समर्पित कर दिया। वहीं पर बलराम भंज 1526 ई. में बलवसपुर नामक गांव बसाया। बलराम भंज जहां वास किए, वह बस्ती बलवसपुर से बाद में बोलबा हुआ। बलराम के वंशजों को कालांतर में बीरू राज के सेनापति का काम मिला,अभी भी सेनापति उपाधि के बहुत से परिवार इस क्षेत्र में निवास करते हैं। बोलबा को बसाने वाले परम पूज्य बलराम भंज़देव की स्मृति में जहां उनका गढ़ था, कुछ वर्षों पहले तक वहां गढ़ के कुछ लोग रहते थे। मोतीराम सेनापति ग्राम प्रधान अंतिम व्यक्ति थे जो गढ़ छोड़कर अभी बोलबा बाजार के पास रहते हैं। बलराम भंज़देव जी की पुण्य स्मृति स्थल में उनके नाम पर पथलगडी किया गया है।

71